भारत के राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभ्यारण्य: एक संपूर्ण गाइड

परिचय: यह विषय आपके लिए उच्च अंक प्राप्त करने की कुंजी क्यों है?
क्या आप जानते हैं कि पर्यावरण और पारिस्थितिकी यह खंड अब यूपीएससी पाठ्यक्रम का एक छोटा सा हिस्सा नहीं रह गया है; यह एक क्रांतिकारी बदलाव है। खासकर प्रारंभिक परीक्षा में, राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों से जुड़े प्रश्न नियमित रूप से पूछे जाते हैं। ये आपके तथ्यात्मक ज्ञान का परीक्षण ज़रूर करते हैं, लेकिन मुख्य परीक्षा में, ये संरक्षण, नीति और उनके सामाजिक-आर्थिक प्रभाव की गहरी समझ की मांग करते हैं।
यह ब्लॉग आपके लिए एक व्यापक मार्गदर्शिका है। हम आपको न केवल सूची देंगे, बल्कि ऐतिहासिक, कानूनी और सामाजिक-आर्थिक संदर्भ भी प्रदान करेंगे जो आपको उच्च-स्कोरिंग उत्तर तैयार करने में मदद करेंगे। इसे केवल एक सूची से कहीं अधिक समझें—यह एक ऐसा उपकरण है जो आपको एक ऐसे नौकरशाह की तरह सोचने में मदद करेगा जो संरक्षण और समुदाय, दोनों को समझता है।
"Success is the sum of small efforts, repeated day in and day out." — Robert Collier
मूल अवधारणाओं को समझना: राष्ट्रीय उद्यान बनाम वन्यजीव अभयारण्य
राष्ट्रीय उद्यान: सख्त संरक्षण नियमों वाला एक संरक्षित क्षेत्र। इसकी सीमाएँ कानून द्वारा निर्धारित हैं और इन्हें राज्य की सिफारिश के बिना नहीं बदला जा सकता।राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्ल्यूएल)चराई या निजी भूमि स्वामित्व सहित किसी भी मानवीय गतिविधि की आम तौर पर अनुमति नहीं है। यह एक प्राचीन क्षेत्र है जो पारिस्थितिकी संरक्षण के लिए समर्पित है।
वन्यजीव अभयारण्य: एक ऐसा क्षेत्र जहाँ जानवरों को शिकार और पकड़े जाने से बचाया जाता है। इसकी सीमाएँ हमेशा कानूनी रूप से तय नहीं होती, और कुछ मानवीय गतिविधियों, जैसे चराई या सीमित पर्यटन, की अनुमति दी जा सकती है, बशर्ते कि वे वन्यजीवों को नुकसान न पहुंचाएं। इसका मुख्य उद्देश्य किसी विशिष्ट प्रजाति या जानवरों के समूह की रक्षा करना है।
Feature | National Park | Wildlife Sanctuary |
---|---|---|
Protection Level | High, for an entire ecosystem | Moderate, for specific flora/fauna |
Boundary | Fixed by law, cannot be altered easily | Not always legally fixed |
Human Activity | Not permitted, except for scientific research | Limited human activity (e.g., grazing) is sometimes allowed |
Declaration | Declared by the State Government under Section 35 of the Wildlife Protection Act, 1972 | Declared by the State Government under Section 18 of the Wildlife Protection Act, 1972 |

ऐतिहासिक एवं कानूनी संदर्भ: रियासतों से आधुनिक अधिनियम तक
भारत में वन्यजीवों के संरक्षण की अवधारणा प्राचीन काल से चली आ रही है, लेकिन आधुनिक कानूनी ढांचा बहुत हाल का है।
ब्रिटिश युग: पहला कानून था वन्य पक्षी संरक्षण अधिनियम, 1887, जिसे बाद में बदल दिया गया वन्य पक्षी एवं पशु संरक्षण अधिनियम, 1912 इनका दायरा सीमित था। पहला राष्ट्रीय उद्यान,हैली राष्ट्रीय उद्यान (अब जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान), 1936 में स्थापित किया गया था।
स्वतंत्रता के बाद: वास्तविक मोड़ तब आया जब वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WPA), 1972 इस ऐतिहासिक कानून ने राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों जैसे संरक्षित क्षेत्रों के निर्माण के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा प्रदान किया। यह वन्यजीवों, विशेषकर बाघों की आबादी में आ रही खतरनाक गिरावट का सीधा जवाब था।
संवैधानिक प्रावधान: आपको दो प्रमुख लेख अवश्य याद रखने चाहिए:
अनुच्छेद 48 ए (डीपीएसपी):राज्य पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने तथा देश के वनों और वन्य जीवन की सुरक्षा करने का प्रयास करेगा।
अनुच्छेद 51 ए(जी) (मौलिक कर्तव्य):भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह वनों, झीलों, नदियों और वन्य जीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करे तथा जीवित प्राणियों के प्रति दया का भाव रखे।
उम्मीदवारों के लिए परेशानी का विषय:सभी राष्ट्रीय उद्यानों को याद रखना एक बड़ी चुनौती हो सकती है। एक साथ सब कुछ याद करने की कोशिश न करें। एक समय में एक राज्य पर ध्यान केंद्रित करें और प्रत्येक उद्यान को उसकी सबसे प्रसिद्ध प्रजातियों या किसी अनूठी विशेषता से जोड़ें। उदाहरण के लिए, जब आप “मणिपुर” पढ़ें, तो तुरंत “मणिपुर” के बारे में सोचें।केइबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान और यह हिरण के सींग.
पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक महत्व
संरक्षित क्षेत्र केवल जानवरों को बचाने के लिए नहीं हैं; वे हमारे ग्रह और हमारी अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
पर्यावरणीय लाभ:
जैव विविधता हॉटस्पॉट:वे भारत की समृद्ध जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो बंगाल टाइगर, एशियाई शेर और विशाल एक सींग वाले गैंडे जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।
कार्बन सिंक:इन क्षेत्रों में स्थित वन प्रमुख कार्बन सिंक के रूप में कार्य करते हैं, तथा जलवायु परिवर्तन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
जल सुरक्षा:वे जलग्रहण क्षेत्रों और नदी प्रणालियों की रक्षा करते हैं तथा लाखों लोगों के लिए स्वच्छ जल आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं।
आर्थिक प्रभाव:
पारिस्थितिकी पर्यटन:वन्यजीव पर्यटन एक तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है, जो सफारी, प्रवेश शुल्क और स्थानीय व्यवसायों से राजस्व अर्जित करता है। यह राजस्व संरक्षण प्रयासों के लिए धन जुटाने में मदद करता है।
आजीविका:यह स्थानीय समुदायों को गाइड, प्रकृतिवादी और आतिथ्य क्षेत्र में रोजगार के अवसर प्रदान करता है।
सामाजिक निहितार्थ:
संरक्षित क्षेत्रों के निर्माण से कभी-कभी निम्नलिखित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं:मानव-पशु संघर्ष और स्वदेशी समुदायों का विस्थापन। संरक्षण बनाम सामुदायिक अधिकारों पर बहस मुख्य परीक्षा का एक महत्वपूर्ण विषय है।
द वन अधिकार अधिनियम, 2006 वनवासी समुदायों के अधिकारों को मान्यता देकर इस समस्या का समाधान करने का प्रयास किया गया है।
राज्यवार सूची:
अगस्त 2025 तक, भारत में 106 राष्ट्रीय उद्यान और 570 से ज़्यादा वन्यजीव अभयारण्य हैं। यहाँ सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय उद्यानों की एक सूची दी गई है, साथ ही कुछ महत्वपूर्ण तथ्य भी दिए गए हैं।
1. मध्य प्रदेश (अधिकांश राष्ट्रीय उद्यान)
Kanha National Park:यह अपने रॉयल बंगाल टाइगर्स और बारहसिंघा (दलदल हिरण) के लिए प्रसिद्ध है।
Bandhavgarh National Park:भारत में रॉयल बंगाल टाइगर्स के उच्चतम घनत्व के लिए जाना जाता है।
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान:बाघों के पुनः प्रवेश की एक सफल कहानी।
Satpura National Park:एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान जहां आप पैदल सफारी कर सकते हैं।
2. राजस्थान
रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान:यह सबसे प्रसिद्ध बाघ अभयारण्यों में से एक है, जो दिन में बाघों के दर्शन के लिए जाना जाता है।
केवलादेव घाना राष्ट्रीय उद्यान:यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जो प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है।
सरिस्का बाघ अभयारण्य:सफल समुदाय-आधारित संरक्षण का एक उत्कृष्ट उदाहरण।
3. असम
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान:यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जहां विश्व के दो-तिहाई महान एक सींग वाले गैंडे रहते हैं।
मानस राष्ट्रीय उद्यान:यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जो जंगली भैंसों और पिग्मी हॉग के लिए प्रसिद्ध है।
राष्ट्रीय उद्यान के लोग:इसे प्रायः ‘मिनी काजीरंगा’ कहा जाता है।
4. उत्तराखंड
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान:भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान (1936)।
फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान:यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, जो अपने स्थानिक अल्पाइन फूलों के लिए जाना जाता है।
नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान:यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, हिम तेंदुए का घर।
5. Gujarat
राष्ट्रीय उद्यान देता है:एशियाई शेर का अंतिम शेष निवास स्थान।
6. जम्मू और कश्मीर और लद्दाख
हेमिस राष्ट्रीय उद्यान (लद्दाख):भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान, जो हिम तेंदुओं के लिए प्रसिद्ध है।
7. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (अधिकांश अभयारण्य)
सैडल पीक राष्ट्रीय उद्यान:द्वीपों का सबसे ऊँचा स्थान.
महात्मा गांधी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान:एक समुद्री पार्क जो प्रवाल भित्तियों और समुद्री जीवन की रक्षा करता है।
8. Other Key National Parks
National Park | State | Key Species/Feature |
---|---|---|
Sundarbans | West Bengal | Royal Bengal Tiger (in a mangrove ecosystem), UNESCO World Heritage Site |
Periyar | Kerala | Elephants & Tigers |
Eravikulam | Kerala | Nilgiri Tahr |
Bandipur | Karnataka | Tigers, Leopards, Elephants |
Dudhwa | Uttar Pradesh | Tigers, Barasingha |
Keibul Lamjao | Manipur | The world's only floating national park, home to the Sangai deer. |
Khangchendzonga | Sikkim | UNESCO World Heritage Site, known for its unique bio-geographical location. |
मुख्य परीक्षा के उत्तरों में उद्धृत करने के लिए केस स्टडी और डेटा
- प्रोजेक्ट टाइगर: 1973 में शुरू किया गया यह अभियान संरक्षण की सफलता का एक बेहतरीन उदाहरण है।अखिल भारतीय बाघ अनुमान 2022 रिपोर्ट में बाघों की संख्या 3,682 बताई गई है, जो एक उल्लेखनीय वृद्धि है। सकारात्मक रुझान दिखाने के लिए इस आंकड़े का उल्लेख कीजिए।
- एशियाई शेरों का स्थानांतरण: गिर से कुछ एशियाई शेरों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानांतरित करने का मुद्दा लंबे समय से लंबित है ताकि एक दूसरा घर बनाया जा सके और एक ही घटना (जैसे किसी बीमारी के प्रकोप) से उनकी आबादी का सफाया होने से बचाया जा सके। यह संरक्षण को राज्य के हितों और रसद के साथ संतुलित करने की चुनौतियों को उजागर करता है।
- चीता का परिचय: हाल ही में प्रोजेक्ट चीता भारत के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को पुनः स्थापित करना एक विशाल और विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण संरक्षण परियोजना है। यह एक लुप्त प्रजाति को पुनर्स्थापित करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
वस्तुनिष्ठ विश्लेषण: पक्ष और विपक्ष
Pros:
- प्रभावी इन-सीटू संरक्षण
- लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए आवास संरक्षण।
- इससे पारिस्थितिकी पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और राजस्व प्राप्त होगा।
Cons:
- सीमांत क्षेत्रों में मानव-पशु संघर्ष की संभावना।
- स्थानीय एवं जनजातीय समुदायों का विस्थापन।
- अवैध शिकार और अतिक्रमण की चुनौतियाँ।